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खुद में गुम भी रहा करो - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

खुद में गुम भी रहा करो

  • 19
  • 1 Min Read

माना कि मुस्कुराना है अच्छा
मग़र 'बशर' कभी खुश भी रहा करो,
इज़हार ए ग़म भी नहीं अच्छा
कभी कभी खुद में गुम भी रहा करो!
@"बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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