कविताअन्य
***प्रकृति के नियम ***
सुबह, दोपहर, संध्या और रैन l
प्रकति ने रचा निमित्त सुख चैन l
सुबह बनाया दिनचर्या अपनाने को l
दोपहर है थकान मध्य सुस्ताने को l
होती संध्या काम से वापस आने को l
निशा मिमित्त है भोजन कर सो जाने को l
दिनचर्या उचित नहीं अपनाएं गे l
ऊर्जा दिन रात की कहाँ से लाएंगे l
दिन होता है काम करो तुम l
दोपहर काम बीच विश्राम करो तुम l
शाम को परिवार के संग बिताओ l
गृहस्थी के साधन घर लाओ l
रात्रि पूर्ण विश्राम करो तुम l
अगले दिन का प्रयाण करो तुम l
अगर प्रकृति के ये नियम न होते l
सीचो कैसे तुम जगते सोते l
प्रकृति के नियमों का करो अनुपालन l
रहेगा संयमित तन, मन और धन l
( अलोक मिश्र )