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रंजीदा हर शख़्स के सूरते-हाल पर संजीदा हो जाना हरदम उनका - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

रंजीदा हर शख़्स के सूरते-हाल पर संजीदा हो जाना हरदम उनका

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मिज़ाज-ओ-अंदाज़-ए-गुफ़्तगू न समझ सके आज तक हम उनका,
लबों पर हंस कर इस तरह जज़्ब दिल में रख लेना रंजो-ग़म उनका!
कमाल उन के इस जमाले -ख़्याले - मुसबत का क्या कहिए "बशर",
रंजीदा हर शख़्स के सूरत ए हाल पर संजीदा हो जाना हरदम उनका!
© "बशर" بشر

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