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कवितानज़्म
दैर -ओ-हरम ख़ामोश रंज-ओ-ग़म ख़ामोश यहाँ पर महज नफ़रत सुनाई देती है! किसी भी मज़हब में नहीं है बशर कोई बुराई हर बुराई में सियासत दिखाई देती है! © "बशर"