कहानीहास्य व्यंग्य
भानु “शशि कल मंडे है याद है ना हम लोगों को कल ट्रिप के लिये निकलना है। मेरे दोस्त की गाड़ी है हम लोग उसी से जा रहे है, वैन है तो हम सभी को बस स्टैंड जाना है वो स ही को उधर से ही पिक करेगा। पैकिंग कर लेना सभी”
शशि “पैकिंग हो गयी है लगभग थोड़ी बहुत बची है, अच्छा सुनो घर की चाबी जिज्जी को देकर निकल जाए क्या? उनको मालूम नही है अभी तक कि हम लोग शिमला जा रहे है।
भानु चाय का कप एक तरफ रखते हुए
“पागल हो गयी हो, तूफान को निमंत्रण देना है या आ बैल मुझे मार वाली कहावत सच करनी है। कल हम निकलते है चाबी अपने पास रखो, मैं रास्ते से फोन कर बोल दूंगा जिज्जी को की हम शहर से बाहर है कुछ जरूरी काम से तुम पैकिंग खत्म कर लो शाम को कुछ जरूरी चीजों की लिस्ट बना लो मैं लेता आऊंगा, शिमला में ठंडा मैसम है जरूरत पड़ेगी”।
ठीक है कहकर शशि कमरे की तरफ चल देती है”।
भानु खड़ा होकर बालकनी से ताज़ा हवा का मज़ा लेता है तभी देखता है जिज्जी नुक्कड़ पर खड़ी किसी से बतिया रही होती है। भानु शशि को आवाज लगाता है।
“शशि इधर तो आओ तनिक”
शशि भागकर आती है “क्या हुआ ठीक तो हो इतनी जोर से चिल्लाए मुझे डरा ही दिया”।
भानु “ये देखो जिज्जी ही है ना नुक्कड़ पर”
शशि “हाँजी लग तो जिज्जी ही रही है पर किसके साथ बतिया रही है”
भानु- “पता नही छोड़ो, अभी जिज्जी घर आये तो उनके आगे कुछ मत बोलना,।
शशि “ठीक है प्यारे पतिदेव (भानु के गाल खींच देती है)
पूरा दिन हो जाता है जिज्जी नही आती है,
भानु शशि से, “ये जिज्जी गुस्सा है का आयी काहे नही, गली से ही वापस चली गयी ऐसा गजब तो आज तक ना हुआ।
शशि “मालूम नही का बात है”
भानु “अच्छा छोड़ो इस मामले को बाद में सुलटा लेंगे अभी लिस्ट दो सामान की लेकर आते हैं”।
शशी सामान की लिस्ट दे देती है भानु थैला उठाकर सामान लेने बाज़ार चल देता है।-नेहा शर्मा