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पता ही नहीं जिंदा हैं कि मर गए हम - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

पता ही नहीं जिंदा हैं कि मर गए हम

  • 43
  • 1 Min Read

खुद को ज़माने में इस क़दर तन्हा कर गए हम
किसीको पता ही नहीं जिंदा हैं कि मर गए हम
@"बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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