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हरदिन करिश्मा नहीं होता - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

हरदिन करिश्मा नहीं होता

  • 4
  • 3 Min Read

हरदिन यहाँ पर कोई करिश्मा नहीं होता
मरकर कोई बशर फिर ज़िन्दा नहीं होता

हैं बहुत हयाते-मुस्तार के हिस्सेदार मग़र
सूखेहुए शजरपर कोई परिंदा नहीं होता

होने को तो दुनिया में सब-कुछ होता है
मग़र ग़रीब के जीने का सामां नहीं होता

ऐसीभी नहीं ख़ल्क़त में खज़ानों कमी है
मग़र इन्सान को चाहिए वहां नहीं होता

हालचाल पूछने वालों की कमी नहीं है
भीड़ में मग़र तबीब कोई यहाँ नहीं होता

दुनिया - जहाँ का दस्तूर यही ही प्यारे
कोई तेरा नहीं गर तू किसीका नहीं होता

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर"

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