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हरकोई हरकिसी से बेगाना है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

हरकोई हरकिसी से बेगाना है

  • 65
  • 1 Min Read

इस हकीक़त से वाकिफ सारा ज़माना है
कि इक दिन सब को ख़ामोश हो जाना है!

मीठेबोल सुननेको सबके कान तरसते हैं
लगता जैसे हरकोई हरकिसी से बेगाना है!

© 'बशर' بشر.

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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