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कवितानज़्म
मुस्कुराते हैं ऐसे जैसेकि हमको कोई ग़म नहीं दर्द -ए -दिल अपना बयाँ करने वाले हम नहीं जख़्म-ए-जिगर जज़्बात-ए-रंजो-मलाल अपने छुपाने मेंतो हमभी हरगिज़ किसीसे कम नहीं "बशर" بشر