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पापड़ बिलवाती है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

पापड़ बिलवाती है

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औसाफ़-ए-हमीदा-ए-मलकी से मुत्तसिफ़ मुहब्बत जन्नत की हवा खिलाती है
परवाज़े-इश्क़ गर औसाफ़-ए-ज़मीमा-ए-बशरी हो तो बड़े पापड़ बिलवाती है
@"बशर"

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