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मां से गुहार - Amrita Pandey (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मां से गुहार

  • 395
  • 3 Min Read

नवरात्र आए हैं फिर इस बार
पर महामारी का हाहाकार,
मैंने यह संकल्प लिया है
अपना धर्म निभाऊंगी,
मां का लहंगा नहीं खरीदा
ना अपनी चूड़ी श्रृंगार,
भूखे प्यासों का चेहरा
आंखों में आए बारंबार,
छोटा सा जो भी होगा
अपना अंश दिलाऊंगी,
जब सारा जग बने निरोगी
मां से वचन निभाऊॅंगी,
लहंगा-चूनर तभी चढ़ाऊं
सुंदर सा हार बनाऊॅंगी,
अपने दोनों हाथों से
मैया तुमको पहनाऊंगी
मां! श्रद्धा की भूखी हो तुम
उसमें ना होगी कोई कसर,
सारे जग की पीड़ा हर लो
गर वाणी में हो मेरी असर.....।।
   
अमृता पांडे

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

जै मां🙏

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

वाह बहुत खूब

Amrita Pandey3 years ago

आभार नेहा जी

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर भाव..!

Amrita Pandey3 years ago

आभार सर।🙏

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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