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कवितानज़्म
उम्मीद नहीं है पर फिरभी कोशिश तेरी जारी रख भरोसा भी रख मग़र बशर जरासी होशियारी रख कारवाँ निकल जाए खुदके चलने की तैय्यारी रख बेशक मेयार तारी रख तहज़ीबो-तमद्दुन सारी रख @"बशर"