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दुआ - Wasif Quazi (Sahitya Arpan)

कवितागजल

दुआ

  • 13
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" दुआ "

दवा को दुआ की दरकार है भाई ।
दिल उनके इश्क़ में बीमार है भाई ।।

चोट देते हैं..... ज़माने वाले मुझको ।
नहीं कोई मिरा ग़म-ख़्वार है भाई ।।

तन्हाई लील रही... नयी नस्लों को ।
बेबसी में चूर.. क्यूँ संसार है भाई ।।

जिस्मों की सौदेबाज़ी है प्यार भी ।
इक गया तो.. दूजा तैयार है भाई ।।


©डॉ. वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ी की क़लम

28/3/2 , अहिल्या पल्टन, इंदौर, मप्र

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