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Sahitya Arpan - Wasif Quazi

कवितागजल

ख़्वाहिशें

  • Added 3 months ago
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  • 68
  • 3 Mins Read

" ख़्वाहिशें "

भूलाने की बेइंतहा कोशिशें हुई हैं ।
खिलाफ़ मिरे कई साज़िशें हुई हैं ।।

बहुत रोया जब याद में दिल उनकी ।
मुझको सताने मुसलसल बारिशें हुई हैं ।।

मिरा इश्क़...... आज़माने की ख़ातिर ।
अब चाँद
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ख़्वाहिशें ,<span>गजल</span>
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कविताअन्य

इक शे'र

  • Added 4 months ago
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  • 70
  • 1 Mins Read

बेवफ़ाई के तीर चलने लगे हैं ।
बुत वफ़ा के अब गिरने लगे हैं ।।


© डॉ.वासिफ़ काज़ी , इंदौर
© काज़ी की क़लम

इक शे'र ,<span>अन्य</span>
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लेखसमीक्षा

पुस्तक विमर्श - साये में धूप

  • Added 5 months ago
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  • 29
  • 11 Mins Read

पुस्तक - " साये में धूप "

रचनाकार - दुष्यंत कुमार जी

प्रकाशक - राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली


" साये में धूप ", हिंदी ग़ज़ल परंपरा के शीर्षस्थ ध्वजवाहक ( अलंबरदार ) दुष्यंत कुमार की क्रान्तिकारी ग़ज़लों
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पुस्तक विमर्श - साये में धूप ,<span>समीक्षा</span>
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कवितागजल

दुआ

  • Added 5 months ago
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  • 13
  • 2 Mins Read

" दुआ "

दवा को दुआ की दरकार है भाई ।
दिल उनके इश्क़ में बीमार है भाई ।।

चोट देते हैं..... ज़माने वाले मुझको ।
नहीं कोई मिरा ग़म-ख़्वार है भाई ।।

तन्हाई लील रही... नयी नस्लों को ।
बेबसी में चूर.. क्यूँ संसार
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दुआ ,<span>गजल</span>
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कविताअन्य

चाँद

  • Added 5 months ago
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  • 71
  • 1 Mins Read

ज़मीं पर बैठ कर चाँद को तकते रहे ।
हम इश्क़ में..... यूँ ही हाथ मलते रहे ।।

जिस राह पर थी दुश्वारियां और ग़म ।
हम आख़िर तक उसी पर चलते रहे ।।


©डॉ. वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ी की क़लम

चाँद ,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

इक शे'र

  • Added 5 months ago
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  • 74
  • 1 Mins Read

नहीं हूँ खौफ़ज़दा तन्हाई से अब मैं ।
तस्वीर उनकी बातें किया करती है ।।

©डॉ. वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ी की क़लम

इक शे'र ,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

हिजरत

  • Added 5 months ago
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  • 32
  • 1 Mins Read

कर चुके हैं जो हिजरत बेबसी में ।
उन्हें घर -आँगन दिखा दो न ।।

हिज्र का पतझड़ देखा है आँखों नें ।
उन्हें वस्ल का सावन दिखा दो न ।।


©डॉ. वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ी की क़लम

हिजरत ,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

इश्क़ -चार मिसरे

  • Added 5 months ago
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  • 69
  • 1 Mins Read

इश्क़ से रोशन मिरी दुनिया है ।
मुझे तीरगी से डर नहीं लगता ।।

वो जबसे गए हैं रूठकर मुझसे ।
अपना घर भी घर नहीं लगता ।।

©डॉ. वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ी की क़लम

इश्क़ -चार मिसरे ,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

दो शे'र ( चार मिसरे )

  • Added 5 months ago
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  • 29
  • 1 Mins Read

लिबास की तरह बदलना ही था ,
तो इश्क़....... क्यूँ किया हमसे ।

देकर.... चंद दिनों की मुहब्बत ,
चैन रातों का... ले लिया हमसे ।।


©डॉ वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ी की कलम

दो शे'र ( चार मिसरे ),<span>अन्य</span>
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कवितागजल

चंद अशआर -ख़्वाब

  • Added 5 months ago
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  • 82
  • 2 Mins Read

🌺 चंद अशआर 🌺

ख़्वाब उनका आँखों में पल रहा है ।
कमबख़्त मिरी नींदों से जल रहा है ।।

वस्ल का दिन तो.. मुक़र्रर था फ़िर ।
क्यूँ ये लम्हा हाथों से फिसल रहा है ।।

संवारने मिरे इश्क़ का मुस्तक़बिल ।
माज़ी
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चंद अशआर -ख़्वाब ,<span>गजल</span>
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कविताअन्य

मुक्तक (क़ता )

  • Added 5 months ago
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  • 32
  • 1 Mins Read

मिलोगे तो ज़ख़्म दिखाऊंगा तुमको ।
तन्हाई के किस्से.. सुनाऊंगा तुमको ।।

हिज्र में.. क्या क्या बीती है मुझ पर ।
इक इक बात...... बताऊंगा तुमको ।

©डॉ वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ी की क़लम

मुक्तक (क़ता ),<span>अन्य</span>
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कवितानज़्म

गुजिश्ता साल.... नज़्म

  • Added 5 months ago
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  • 40
  • 4 Mins Read

शीर्षक – गुज़िश्ता साल [ नज़्म ]

निकल रहा है एक और साल ज़िन्दगी से ।
पूछते रह गए…… हम सवाल ज़िन्दगी से ।।

कितने ख़्वाब मुक़म्मल हुए, सोचते हैं ।
ग़लतियों पर ख़ुद को हम कोसते हैं ।।
क़ामयाबी के मोती…. पाए हैं
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गुजिश्ता साल.... नज़्म ,<span>नज़्म</span>
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कवितालयबद्ध कविता

कौशल कविता का

  • Added 5 months ago
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  • 220
  • 4 Mins Read

" विश्व कविता दिवस " के स्वर्णिम अवसर पर एक गिलहरी प्रयास -

शीर्षक - " कौशल कविता का "

शब्द शब्द ये अहसास का झरना है ।
कविता से मन के घावों को भरना है ।।
चोटिल होती भावनाएं, व्याकुल मन है ।
चिंता
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कौशल कविता का ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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