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कवितानज़्म
फ़ितरत में होती है 'बशर' नीयत में होती है, वफ़ा न मर्द में होती है ना औरत में होती है! छोटी या बड़ी नहीं होती है जात अदमी की, इन्सान की औक़ात उसकी गैरत में होती है! © "बशर" بشر.