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इन्सान की औक़ात उसकी गैरत में होती है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

इन्सान की औक़ात उसकी गैरत में होती है

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  • 1 Min Read

फ़ितरत में होती है 'बशर' नीयत में होती है,
वफ़ा न मर्द में होती है ना औरत में होती है!

छोटी या बड़ी नहीं होती है जात अदमी की,
इन्सान की औक़ात उसकी गैरत में होती है!

© "बशर" بشر.

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