कवितागजल
उस पल का क्या बखान करूँ,
जिस पल उसका दीदार किया।
वो पल मैं कैसे बतलाऊं,
किस पल मैं उससे प्यार किया।
जब भीगी-भीगी जुल्फों ने,
जब बिन काज़ल की आँखों ने,
जब मीठी-मीठी बातों ने,
था उस पल मुझपे वार किया।
वो पल मैं कैसे बतलाऊं,
किस पल मैं उससे प्यार किया।
जब उसके रंग फिजाओं में,
जब उडती जुल्फ हवाओं में,
जब गोरी-गोरी बाहों ने,
था उस पल मेरा शिकार किया।
वो पल मैं कैसे बतलाऊं,
किस पल मैं उससे प्यार किया।
-आकाश त्रिपाठी (जानू)