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दीवाना दिल - Dipak Kumar (Sahitya Arpan)

कवितागजल

दीवाना दिल

  • 22
  • 3 Min Read

पागल हूं दीवाना हूं
मोहब्बत के जमाने में
जरा रुख कर दो मुझपे ​​भी
कमी क्या इस दीवाने में
मैं पागल हूं….

जरा समझो मेरी धड़कन
क्यों तुम बेचैन करते हो
तुम्हें मिलता है ऐसा क्या
मुझे यूँ आज़माने में
मैं पागल हूं….

मेरा दिल चैन खो बैठा
तुम्हारे इश्क़ में ज़ालिम
करो दर्दे दवा दिल की
बनो दिल के मेरे हाकिम
तुम्हारा नाम आता है
मेरे हर एक तराने में
मैं पागल हूं….

सफर तन्हा सा लगता है
नज़र जबसे लड़ी तुमसे
अब तो नींदो में भी अक्सर
करू मै बात अब तुमसे
नहीं तुमसा कोई होगा
कहीं भी इस ज़माने में
मैं पागल हूं….

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