कहानीलघुकथा
(लघुकथा)
"उठ माँ तू सोई है देख मैं तुझसे मिलने आया हूँ"
"बेटा तू तो कल ही छुट्टी लेकर गया था ना फिर इतनी जल्दी कैसे?"
"बस माँ तूने आंखे गीली करके विदा किया था ना तो मन नही माना सोचा एक बार और मिल लूँ तुझसे"
"अच्छा किया आ बैठ मेरे पास दूर क्यों खड़ा है, थोड़ा पुचकार लूँ थोड़ा प्यार कर लूँ अपने लाडले को"
" नही माँ समय कम है मुझे वापस जाना होगा"
"पर अभी तो तू आया है, कहाँ जाना है"
"मुझे जाना है माँ बस मैंने अपना फर्ज निभा दिया अब तेरी बारी है,"
"क्यों रुक तो सही"
तभी फोन की घण्टी बजती है, और निर्मला की आँख खुलती है। चश्मा लगाकर सहारा लेते हुए उठकर फोन उठाती है। फोन की दूसरी तरफ से आवाज आती है।
मुंबई बम ब्लास्ट में आपका बेटा शहीद हो गया, जाते जाते दो दुश्मनों को ढेर कर गया।
कांपते हाथों से फोन छूट जाता है। खुद को सहारा देकर खड़े करते हुए भारी मन से निर्मला सेल्यूट करती है, और कहती है
"जय हिंद, मुझे तुझ पर गर्व है बेटे" - नेहा शर्मा