कवितालयबद्ध कविता
क्यों न तुम में खुद को बुन लूं मैं।
जो जाती हो राह तुम तक
आज उसी को चुन लूं मैं।
तोड़ कर बन्धन रिवाजों के
बांध लूं प्रेम के धागों से।
सफ़र हो लम्बा चाहे काँटों भरा।
साथ हो बस तेरा मेरा।
क्यों न तुम में खुद को बुन लूँ मैं।
जो जाती हो राह तुम तक
आज उसी को चुन लूं मैं।
@पुष्पा कुमारी