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धर्म जात और परिवार की परवाह है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

धर्म जात और परिवार की परवाह है

  • 28
  • 1 Min Read

संस्कार की परवाह है न उसके किरदार की परवाह है,
लोगों को तो बस धर्म जात और परिवार की परवाह है!
© 'बशर' بشر.

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