Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
ख़्वाहिशें - Wasif Quazi (Sahitya Arpan)

कवितागजल

ख़्वाहिशें

  • 68
  • 3 Min Read

" ख़्वाहिशें "

भूलाने की बेइंतहा कोशिशें हुई हैं ।
खिलाफ़ मिरे कई साज़िशें हुई हैं ।।

बहुत रोया जब याद में दिल उनकी ।
मुझको सताने मुसलसल बारिशें हुई हैं ।।

मिरा इश्क़...... आज़माने की ख़ातिर ।
अब चाँद लाने की..... ख़्वाहिशें हुई हैं ।।

यूँ तो रोशन है हुस्न के रंगों से दुनिया ।
हमसफ़र उन्हें बनाने की फ़रमाइशें हुई हैं ।।


©डॉ. वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ी की क़लम

28/3/2 , अहिल्या पल्टन, इक़बाल कॉलोनी
इंदौर, मप्र

IMG_20210703_114201393_1717912779.jpg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg
ये ज़िन्दगी के रेले
1663935559293_1726912622.jpg