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किताब लिखना - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

किताब लिखना

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एक किताब ऐसी लिखना
कुछ बात कुछ सौगात लिखना।
एक किताब ऐसी लिखना

कुछ बातें छोड़ना
कुछ चित्रों की औकात लिखना।
कुछ मुद्दे उठाना
कुछ गिराने की बात लिखना
एक किताब ऐसी लिखना

एक बचपन की याद लिखना
एक माँ बाप का साथ लिखना
कुछ बीते लम्हों के पन्ने
कुछ जले जज्बात लिखना
एक किताब ऐसी लिखना

कुछ देश का अतीत
देश का भविष्य साथ लिखना
थोड़े पन्ने यदि बचे तो
दिल की अपनी बात लिखना
एक ऐसी किताब लिखना

कुछ दर्द लिखना कुछ जख्म भी
खोखली बातों पर प्रहार लिखना
बिगड़ती बातों को बना लेना
कलम नही बिकती ये बात लिखना
हाँ तुम एक किताब लिखना।

चींखते जज्बात लिखना
क्रोध की ज्वाला पर ठंडी फुहार लिखना।
हाँ ऐसी किताब लिखना

सुनो मैं पढूंगी वो किताब
तुम उन बातों को साथ रखना।
कुछ उलझे से धागों में सीधी बात।
उन रचनाओं में साथ रखना।
हाँ नेहा बस कुछ ऐसी ही किताब लिखना। - नेहा शर्मा

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