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रहगुज़र ही में बशर गुज़र गया - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

रहगुज़र ही में बशर गुज़र गया

  • 7
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जी भरकर जिए भी नहीं कि जीने से जी भर गया
मर मर कर जीते रहा जीने लगा तो बशर मर गया

धोबी के कुत्ते की तरह घर का रहा न घाट का रहा
रुके बग़ैर कभी इस डगर गया कभी उस डगर गया

मंज़िल -ए-मक़्सूद मिली ना मनचाहा मुकाम मिला
चलते चलते रहगुज़र ही में बेसबब बशर गुज़र गया
© 'बशर' bashar بسر.

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