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कवितानज़्म
हादिसा हयात में इक यूँ भी दर - पेश आया, कि जब कोई गाँव अपना छोड़ कर परदेश आया! अजनबी शहर की अनजान सड़कों पर बशर, गाँव की गलियों से निकलकर कोई दरवेश आया! @"बशर"