Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
मुग़ालते में गुज़र गई - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मुग़ालते में गुज़र गई

  • 79
  • 1 Min Read

मुग़ालते में गुज़र गई अब हर-पल भारी है
जीकर देख लिया अब मरने की तैय्यारी है

दौराने- हिज्रे- यार आलमे-तन्हाई येह है के
इंतज़ार को हमारे इन्तज़ार की इंतजारी है

@ 'बशर'

logo.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg