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अर्थार्जन का सुखद संयोग - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

अर्थार्जन का सुखद संयोग

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जनादेश का पूर्व आकलन
भी ज्यों गुफा का रहस्य
फिर भी टीवी पर जारी
रहे इसका क्रम अवश्य
तय एजेंडे पर काम कर
रहे मीडिया के सब लोग
उनके लिए चुनाव होता है
अर्थार्जन का सुखद संयोग
मोटे पैकेज ले भरते रहते हैं
वे अपने कोष दिन औ रात
बिना किसी ठोस तर्क के वो
कुरेदते जनता के जज्बात
लोकतंत्र की रक्षा के लिए
चुनिए उपयुक्त उम्मीदवार
निजी निर्णयों में कीजिए नहीं
किसी हस्तक्षेप को स्वीकार

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