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कवितानज़्म
मंज़िल- ए-मक़्सूद हासिल होगी हर चाहत हासिल होगी, पसीना बहाने से ही राह -ए-हयात में राहत हासिल होगी! काम है सो कर्म है गोयाके बाक़ी सब बेमतलब के भ्रम हैं, मशक़्क़त करके कभी मायूसी नहीं मसर्रत हासिल होगी! @"बशर"