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ले आना - Ankita Bhargava (Sahitya Arpan)

कवितागजल

ले आना

  • 181
  • 3 Min Read

इल्म की हर किताब ले आना
लिख के सारा हिसाब ले आना

ज़िंदगी के सवाल मुश्किल हैं
ढूंढ लेंगे जवाब ले आना

वक्त लगता है घर बनाने में
सब्र तू बेहिसाब ले आना

आज सहरा में गुल खिलाने को
तुम कहीं से चिनाब ले आना

अश्क जाए छलक न पलकों से
साथ अपने हिजाब ले आना

दर्द आंखों में इक बसाने को
खूबसूरत सा ख़्वाब ले आना

अंकिता अब्र के दुशाले से
ख़्वाहिशें लाजवाब ले आना

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

सुंदर

Ankita Bhargava3 years ago

शुक्रिया

प्रपोजल
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