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जिज्जी भाग - 9 - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीहास्य व्यंग्य

जिज्जी भाग - 9

  • 272
  • 12 Min Read

शशि गाने गाते हुए जिज्जी के घर की तरफ बढ़े चली जा रही थी। दरवाजे पर ही खड़ी थी, की कुछ लकड़ी का उसके सिर के ऊपर से होता हुआ बाहर जा गिरा। जैसे ही उस सख्त सी चीज से शशि का ध्यान हटा देखती क्या है जिज्जी हट्टी कट्टी अपने दोनों पैरों पर खड़ी हुई है और डंडा लेकर बच्चों के पीछे मारने को दौड़ रही है। बच्चे मार से बचने के लिये खटिया के इधर उधर दौड़ लगा रहे हैं। नल के नीचे झूठे बर्तन पड़े है जिन्हें कुत्ते जीभ से चाट चाटकर मजे ले रहे है। सास जो कुर्सी पर बैठी है अपने छोटे से डंडे से उस कुत्ते को भगाने का प्रयास कर रही है। जिज्जी जो दौड़ रही थी अचानक हमें देखकर रुक जाती है। और तुरन्त से चारपाई पर पैर पकड़कर बैठ जाती है।
“अरे शशि तुम, तुम क्यों लाई खाना, टुन्नू चाची के हाथ से खाना ले ले बेटा, आओ आओ शशि बाहर क्यों खड़ी हो?”
शशि अंदर आकर पहले जिज्जी की सास के पैर छूती है। फिर जिज्जी के पैर छूते हुए बोलती है।
“अब कैसा है पैर का दर्द है जिज्जी”
जिज्जी शशि की बात काटते हुए कहती है।
“तुम काहे लाई टिफ़िन घर का कितना काम रहता है (जिज्जी आवश्यकता से ज्यादा शहद टपका रही थी पकड़े जाने पर) बच्चे जाने ही वाले थे बस,
शशि “कोई बात नही जिज्जी बच्चे आये हम आये का फर्क पड़ता है, वैसे भी हम आपकी खैर खबर भी नही ले पाए थे तो सोचा चलते हैं, वही पूछ रहे थे कि कैसा है अब आपका दर्द, वैसे उस दिन से काफी आराम दिख रहा है, गुन्नौ चाची भी मिली थी रस्ते में बता रही थी कि कल आप बाजार में मिले थे, और अभी घर मे दौड़ते भागते देखकर भी अच्छा लगा जल्दी रिकवर होगयी आपकी चोट जिज्जी।
जिज्जी बड़ी सकुचाई सी जैसे चोरी पकड़े जाने पर शक्ल बन जाती है कुछ वैसी ही शक्ल बनाकर दांत दिखाते हुए बोलती है।
“ये गुन्नौ चाची भी ना आधी अधूरी बात ही बताती है, हमरे पैर में कल बहुत दरद था, तो हमको वो शक्कू है ना रामविलासन कि छोरी उसने बताया शहर में लकुझन्ना नाम के बहुत प्रसिद्ध ज्ञानी बाबा आये है। हमने सोचा कि हमरा पैर जो टूट सा गया है तनिक दिखा लाएं जाकर, बस उसी सिलसिले में गए थे बाजार। सच कहें ना गजब दवाई दी उसने मतलब की देख आज हम दौड़ भाग पा रहे है उस बाबा की वजह से।
शशि चुप होकर बात सुने जा रही थी।
जिज्जी “अच्छा अभी हम तुम्हरे लिये चाय ठंडा कुच्छो बनाने की हालत में नही है। तुम्हरे जिज्जा को भेजा है दूध चाय पत्ती लाने को कुछ है नही घर में। और कितना देर बैठोगी तुम देर हो रही होगी जाओ घर का काम निपटा लो भानु आ गया होगा।
शशि “अच्छा जिज्जी चलते हैं हम अब काफी आराम है, आपको कल से तो आप खाना खुद बना लोगी हम चलते है”,
पैर छूकर मन ही मन मुस्कुराकर हम वहाँ से निकल लिए।-नेहा शर्मा

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

जिज्जी शशि से दो कदम आगे ही रहती हैं..! सरेआम पकड़ जाने पर भी '' कहानी '' बना ही दी😊👌

Radha Shree Sharma

Radha Shree Sharma 2 years ago

शानदार... 😊 😊 😊 तुलसी या संसार में भाँति भाँति के लोग, कहावत को चरितार्थ करती हुई रचना 👌 👌 👌 👌 राधे राधे 🌹 🙏 🌹

Rajkumar kandu

Rajkumar kandu 3 years ago

मजेदार किस्सा जिज्जी सीरीज का 😊

नेहा शर्मा3 years ago

धन्यवाद अंकल जी

दादी की परी
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