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आम सी ज़िन्दगी - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

आम सी ज़िन्दगी

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  • 3 Min Read

आम सी ज़िन्दगी


आज जरा खुली हवा में साँस लेने दो।
बड़े दिन से आजादी ढूंढी आज आजाद रहने दो।

बह रही थी मन में घाव के समंदर में कबसे
मरी हुई सी ज़िन्दगी को अब तुम ज़िंदा बहने दो।

वो ले गया था सुकून मेरा मुझसे ही दूर भले
मुझे भी अब कुछ कंकर पत्थर की जगह लेने दो।

न बन सकी मैं वो कोहिनूर हिरा तो क्या हुआ।
बनकर मुस्कान लोगो के होंठों पर रहने दो।

लो चल दी हूँ छोड़कर मैं भी अब घर ये अपना।मेरी तस्वीर को घर के कोने में पड़ा रहने दो।

नही मतलब की याद करोगे तुम मुझे कभी भी।
मेरी यादों को इक कमरे में दफन रहने दो। - नेहा शर्मा

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

जय हिन्द

Ritu Garg

Ritu Garg 3 years ago

व्हा व्हा बहुत खूब

Naresh Gurjar

Naresh Gurjar 3 years ago

लाजवाब रचना

Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

उम्दा सृजन है

Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

उम्दा सृजन है

Rajesh Kr. verma Mridul

Rajesh Kr. verma Mridul 3 years ago

उम्मदा, बेहतरीन

नेहा शर्मा3 years ago

धन्यवाद आदरणीय

प्रपोजल
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