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कवितानज़्म
बताएं क्या नुक़्स आपको इस कमबख़्त मय के बशर ये जो राब्ता इक बार जोड़ती है तो फिर तोड़ती नहीं है! रिंदों ने आकर मयकदे से बाहर झूमकर येह बयाँ किया हमने तो छोड़ दी है पर ये अबभी हमको छोड़ती नहीं है! © 'बशर' بشر.