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कवितानज़्म
हायकू (१) रहेगा जहां आदमी चलाएगा अपनी वहां। (२) रोकेगा कौन रहेंगे सब जब हम ही मौन। (३) दाग दिल के लिबास बदलके मिटे कब थे। (४) बोले कब हैं गुनहगार यहां हम सब हैं। @"बशर"