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इन दूरियों का येह फासला सहा नहीं जाता - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

इन दूरियों का येह फासला सहा नहीं जाता

  • 7
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शोर उनकी मुसलसल ख़ामोशियों का अब सुना नहीं जाता
ज्वाब इन सन्नाटों का पुरजोर सदाओं सेभी दिया नहीं जाता
फ़िराक़ -ए -हबीब में येह फुरक़तें हो गईं है इंतेहा -ए -हिज्र
वस्ल -ए- यार में इन दूरियों का येह फासला सहा नहीं जाता
© 'बशर' بشر bashar

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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वो चांद आज आना
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