कवितालयबद्ध कविता
जवां सैनिक के शौर्य-गीत,
हवाएं जब गुनगुनाती हैं...
उन जवानों की बहादुरी के,
अनकहे किस्से सुनाती हैं!
नहीं है फिक्र उस को अपनी,
नहीं है गम जमाने का...
चढ़ा है बस फितूर,
दुश्मन से अपना वतन बचाने का!
लड़ सकता है, मर सकता है...
लेकिन झुक नहीं सकता,
चला है देश रक्षा को...जो काफिला,
रुक नहीं सकता!
लड़ रहा वो सरहद पर,
वतन की आन की खातिर...
कटा सकता है सिर भी अपना,
वतन की शान की खातिर!
गीत सुने बहुतेरे...
पर ऐसा गीत न कोई,
मेरे भारत के वीरों सा...
जहां में वीर न कोई!!
स्वरचित- रुचिका
वाह मेरे भारत के वीर जैसा जहाँ में वीर न कोई 👌🏻
बहुत बहुत शुक्रिया नेहा जी 🙏