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ख़्वाहिशों के रस्तों से उफ़क तक जाना है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

ख़्वाहिशों के रस्तों से उफ़क तक जाना है

  • 71
  • 1 Min Read

मसर्रतों का तेरे जहाँ में दूर का ठिकाना है!
ख़्वाहिशों के रस्तों से उफ़क तक जाना है!!
@"बशर"

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