कविताअतुकांत कविता
दूर कहीं से एक चिट्ठी आई है
कहा होगा कुछ इसमे,
कोने में जाके पढ़ता हूं
क्योंकि चिट्टी जो है खास
कहा हो इसमे, मांगा था जो मैंने, दो पहियेओ वाली कार,
हां हो जो मम्मी ने बोला था घर आने की बात
फिर भी पढ़ता हूं, क्योंकि चिट्टी जो है खास
ये तो एक पत्र है जिसमें कुछ है अंग्रेजी में लिखा हुआ,
ये अंग्रेजी क्यों नहीं ले गई जब अंग्रेज़ो का यहां से जाना हुआ,
कुछ नहीं आया समझ मुझे इसमे, फिर भी पढ़ूंगा
क्योंकि चिट्टी जो है खास
रो रहे हैं सब की बुझ गया एक और घर का चिराग, जा मिले है भैया पापा से
अब मिलेगी झूठी सहनुभूति, और कुछ बड़े
आयेंगे सब मिलकर एक साथ
क्यूकी चिट्टी आई है जो खास
कब तक चलेगा ऐसे हमारा देश, कब बदलेगा हम और हमारा प्रदेश
कब मिलेगी आजादी इस दोगली राजनीति से
ना जाने और कितने घरो को आएगी ये चिट्ठी
क्योंकि ये चिट्ठी जो है खास
पता चला अब नहीं होते हैं दो पाहियों वाली कार, होते बास दो कंधे
जिस कंधो को बनना होगा अब्ब जिम्मेदार
संभल कर रखूंगा इस चिट्ठी को मरने तक
क्योंकि ये चिट्ठी जो है खास.
:-Praful kumar