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दम निकला हैं 🥀🥹
के कई सालों बाद मैंने, उसके शहर में कदम रखा हैं ।
मानो ऐसे के जैसे, मेरे जिस्म से अभी दम निकला हैं ।
एक शख़्स जो कभी मेरा यहां, ख़ास हुआ करता था ?
हाय ! अफसोस हुआ, ये भी मेरा झूठा वहम निकला हैं ।
जिसे मैं देखना नहीं चाहता था वो मुझे दिखा ?
उसे देख मेरे दिल का दर्द, आंखों से आसू बनकर ग़म निकला हैं ।
फिरोज़ खान मदनी