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ताप - Ankita Bhargava (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिक

ताप

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'साहित्य एक साधना है, बहुत मेहनत करनी होती है यहां। हां आपमें काबिलियत है, आपकी लेखनी में भी दम है। किंतु सफलता पाने के लिए मात्र इतना ही काफी नहीं और भी बहुत कुछ चाहिए, जैसे कि समर्पण भाव। आप समझ रही हैं ना मैं क्या कहना चाहता हूं?' एक विख्यात पत्रिका के संपादक ने कुटिलता से मुस्कुराते हुए सह संपादक पद के लिए साक्षात्कार देने आई दिशा से कहा। नियुक्ति पत्र देते समय संपादक की उंगलियां दिशा को छू गई। कुछ क्षण का वह स्पर्श दिशा को झुलसा गया, लगा जैसे उसके हाथ में छाले पड़ गए।
'मैं आपके जवाब की प्रतीक्षा करूंगा।' संपादक फिर मुस्कुरा दिए।
'नहीं सर आपको प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी।' दिशा ने शांत भाव से कहा और नियुक्ति पत्र के टुकड़े कर कचरा पात्र में डाल दिए। उसकी आंखों का ताप ही संपादक को झुलसाने के लिए काफ़ी था।

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