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कवितानज़्म
खुशहाल ज़िन्दगी की तलाश में आ गए हम 'बशर' मौत के पास में! सुब्ह से शाम हुई उम्र तमाम हुई हैं शाम से किसी सहर की आस में! © 'बशर' بشر.