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सहर की आस में - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

सहर की आस में

  • 24
  • 1 Min Read

खुशहाल ज़िन्दगी की तलाश में
आ गए हम 'बशर' मौत के पास में!

सुब्ह से शाम हुई उम्र तमाम हुई
हैं शाम से किसी सहर की आस में!

© 'बशर' بشر.

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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