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कवितानज़्म
यूं बात बात पर अपना दिल न छोटा किया कीजिए जो कुछ यहाँ- पर हो रहा है उसे होने दिया कीजिए फ़िक्र करनी फिजूल है हवाओं का रुख बदलने की मौसमों के मिज़ाज बदलने का मजा लिया कीजिए ©️ "बशर"