कवितालयबद्ध कविता
बीस साल पहले सुंदर,
उर्जा से भरपूर,
सपनो मे तैरता,
समाज मे पहचान ,
के लिये भागता दौड़ता और दौड़ता ही
हर वक्त योजनाए बनाता
प्रेम को छोड़ता, फिर प्रेम करता,
हकीकत से अंजान,
बस सपने के पीछे भागता
गलतीयो से सीखता
अनुभवो को जमा करता था
अब सब व्यर्थ ही प्रतीत होता,
फिर भी उस बीस साल पहले
को यादो मे संजो रखता हूॅ मैं।