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बारिश - Bhawana Rawat (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

बारिश

  • 17
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बारिश

रिमझिम बारिश की बूँदें धरा पर गिरती हैं ऐसे,
मानो आकाश से मोती गिर रहे हों जैसे |
ये पेड़, ये पर्वत और ये पक्षी, एक अरसे बाद ये बारिश से मिले हैं,
और मिटा रहे अपने पुराने गिले शिकवे हैं |
बारिश का मौसम है ऐसा ही,
मन का मोर नाच उठा है मेरे भीतर भी |

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