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कवितालयबद्ध कविता
बारिश रिमझिम बारिश की बूँदें धरा पर गिरती हैं ऐसे, मानो आकाश से मोती गिर रहे हों जैसे | ये पेड़, ये पर्वत और ये पक्षी, एक अरसे बाद ये बारिश से मिले हैं, और मिटा रहे अपने पुराने गिले शिकवे हैं | बारिश का मौसम है ऐसा ही, मन का मोर नाच उठा है मेरे भीतर भी |