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खुशीकैसी कुछ पाने से गमकैसा कुछ खोने से - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

खुशीकैसी कुछ पाने से गमकैसा कुछ खोने से

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जब हुआ है इब्तिदा -ए - सफ़र ही तिरा रोने से
डरता है क्यूँ सफ़र-ए-हयात के मुश्क़िल होने से

मुसाफ़िर है तू मतलब तुझे सिर्फ़ आने -जाने से
खुशी कैसी कुछ पाने से गम कैसा कुछ खोने से
"बशर" بشر

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