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कवितानज़्म
जब हुआ है इब्तिदा -ए - सफ़र ही तिरा रोने से डरता है क्यूँ सफ़र-ए-हयात के मुश्क़िल होने से मुसाफ़िर है तू मतलब तुझे सिर्फ़ आने -जाने से खुशी कैसी कुछ पाने से गम कैसा कुछ खोने से "बशर" بشر