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कवितानज़्म
उनके शब्द-बाणों के आगे क्या तीर - तलवार करते हैं कि अपने लफ़्ज़ों की बौछार से वोह ऐसे वार करते हैं मग़र ऐसा भी तो नहीं कि उन को फ़िक्र नहीं है हमारी मर ही न जाएं हमें बचाने के भी प्रयत्न हज़ार करते हैं @ "बशर"