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एक कप कॉफी और तुम - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकलघुकथा

एक कप कॉफी और तुम

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  • 11 Min Read

एक कप कॉफी और तुम
आजकल आशिकों के इश्क़ में चाय का स्थान कॉफ़ी ले चुकी है।वो इसलिए कि कॉफी चाय से महँगी होती है, और इश्क़ कहाँ सस्ता रहा आजकल!
ये दिल भी अजीब है,कब किसपे आ जाए और क्यों फिदा हो जाए, कुछ मालूम नहीं ,जब अहसास होता है, रोकना चाहो ,रोकने पर बस नहीं चलता! बदकिस्मती से इश्क नाकाम रहा,दिल टूटा, तो ऐसा बिखरता है कि समेटे नही सिमटता!किसी के लाख समझाने पर भी नहीं संभलता।इश्क का बुखार सीने में आग बनकर धधकता है।दिलबर को पाने की चाह में तन्हाई में रोता है।
फिर मोहब्बत का आगाज़ बेशक कॉफी शॉप से हुआ हो,अंजाम चाय की प्याली पर ही होता है।
ऐसा ही कुछ समीर के साथ हुआ।समीर और
हंसिका की जान- पहचान भी एक ही बस के हमसफर होने के नाते हुई।ऑफिस अलग-अलग थे मगर दोनों एक ही समय पर बस से जाते थे।
पहल हंसिका ने की,समीर चुप बैठता।उसकी खामोशी ने ही हंसिका को उसकी ओर खींचा।एक दिन जब वह कनखियों से उसे देख रही थी,वह धीरे से मुस्कराया।
वह उनके प्रेम की पहली मौन अभिव्यक्ति थी।
अब वे खूब बातें करते और रास्ता कब कट जाता, पता ही नहीं चलता।
वह बातें करता,वह चुप सुनती उसके मन में आता कि वह ऐसे ही बातें करता रहे।इस बीच अचानक
उसने ऑफिस थोड़ा जल्दी जाना शुरू कर दिया ताकि समीर से बस में मुलाकात ही ना हो। एक रोज जब वह बस स्टॉप पर खड़ी थी, समीर वहां पहुंच गया।समीर उसकी बेरुखी का राज़ जानना चाहता था।
उसने हंसिका को बाइक पर बैठने का अनुरोध किया। आगे जाकर एक कॉफी स्टॉल पर उसने बाइक रोकी।दो कप कॉफी का आर्डर देकर इत्मीनान से उसकी ओर देखते हुए उसकी नाराजगी का सबब पूछा। हंसिका की बात सुनते ही वह चौक गया। "अच्छा ,तो यह मजाक-मजाक में जो निशांत ने उस दिन मेरा फोन ले लिया था तो उसका यह मकसद था! मेरा यकीन मानो हंसिका मैंने जान -बूझकर तुम्हारा नंबर किसी को नहीं दिया था। मुझे इग्नोर करने और इतनी कठोर होने की जगह तुम्हें मुझसे पूछना चाहिए था। अब मैं इस निशांत को नहीं छोडूंगा!"
उस एक कॉफी की प्याली ने उनकी गलतफहमी दूर कर दी और चल पड़े वे ज़िंदगी के नये सफ़र की ओर, मनही मन प्रतिज्ञा करते हुए कि एक दूसरे के प्रेम पर कभी अविश्वास नहीं करेंगे।
शिकवों की कड़वाहट और ज़बान के रूखेपन से शुरू हुई बातें भी मुस्कुराहट में तब्दील हो जाती हैं, यह निराला अन्दाज़ है कॉफी का!
प्रेम और विश्वास की आँच पर बनी कॉफी की तासीर है कि यह जीना आसान कर देती है।
गीता परिहार
अयोध्या

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बढ़िया

Gita Parihar3 years ago

धन्यवाद

दादी की परी
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