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मिट्टी से तकदीर संवारी - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकप्रेरणादायकअन्य

मिट्टी से तकदीर संवारी

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13दिसम्बर
एक गांव की कहानी
मिट्टी से तकदीर संवारी

जीतू सिंह लॉकडाउन में नौकरी गंवाने के बाद गांव लौटे, लेकिन उन्होंने परिस्थितियों के आगे घुटने नहीं टेके। उनके हाथ में हुनर था और उम्र का अनुभव था। उन्होंने इसे कारोबार में बदलने की ठान ली। उन्होंने कुल्लड़, प्लेट बनाना शुरू किया।वे अकेले ही इस काम में नहीं जुड़े। उन्होंने अपनी तरह के गांव के दर्जनों लोगों को इस काम में जोड़ लिया।मिट्टी के कुल्लड़ ,प्लेट की मांग इतनी बढ़ गई थी कि उसकी आपूर्ति नहीं हो पा रही थी। धीरे- धीरे उनके बेटे ने पॉटरी कंपनी खोली। दिन में 10 घंटे कड़ी मेहनत करते।

गांव के कुछ लोगों से उधार लिया,बैंक से लोन लिया और खाली प्लॉट में टिन शेड डालकर कुल्हड़,प्लेट बनाने की मशीन लगाई। शुरू- शुरू में माल बेचने में दिक्कत आई। किन्तु धीरे- धीरे 10,000 प्रतिमाह   की कमाई होने लगी।

अब वे बहुत परिष्कृत फूल ,पत्तियों के डिजाइन दार कुल्हड़ बनाते हैं।प्रतिदिन 4000 तक कुल्हड़ सप्लाई होते हैं।

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दादी की परी
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