कवितालयबद्ध कविता
बड़ा नुकसान कर देता है।
मेरा दिल बदनाम कर देता है।
मैं तरसती हूँ एक छाँव को
वो सुबह को शाम कर देता है।
पगला है वो नही समझता है।
किस्सा सरेआम कर देता है।
मेरी है ये कहता फिरता है।
झगड़े जैसे काम कर देता है।
सिफर हो रही जिंदगी उसकी
गुणा भाग के नाम कर देता है।
नेहा कैसे मतलब न रखे उससे
बुद्धू जीवन आसान कर देता है। - नेहा शर्मा