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वो पागल लड़का - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

वो पागल लड़का

  • 118
  • 2 Min Read

बड़ा नुकसान कर देता है।
मेरा दिल बदनाम कर देता है।
मैं तरसती हूँ एक छाँव को
वो सुबह को शाम कर देता है।
पगला है वो नही समझता है।
किस्सा सरेआम कर देता है।
मेरी है ये कहता फिरता है।
झगड़े जैसे काम कर देता है।
सिफर हो रही जिंदगी उसकी
गुणा भाग के नाम कर देता है।
नेहा कैसे मतलब न रखे उससे
बुद्धू जीवन आसान कर देता है। - नेहा शर्मा

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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

बेहतरीन

Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

बहुत ही सुन्दर... मैम

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

वाह , सिफर हो रही जिंदगी उसकी गुणा भाग के नाम कर देता है।

प्रपोजल
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