कहानीव्यंग्य
हमें टिक्की खाने का बहुत शौक है..... बस चाट टिक्की देखते ही हमारी लार टपकने लगती है। अगर हम गुस्सा हुए कभी तो टिक्की खिला दो आसानी से मान जाते है।
तो बात तब की है...... जब हम शादी होकर दूसरे घर को चमकाने गए थे। चमका कितना वो नही पता पर आये दिन धमाके जरूर होते है!!!!!
हमारी जीभ बहुत ज्यादा चट्टो - चटोरी है, खाना कम खाते है, और चाट पकोड़ी समोसे कितने भी खिला लो। अब नई - नई शादी हुई हमारी जीभ पर लगाम कैसे लगाए? 1 या 2 महीने चुप बैठे रहे। फिर एक दिन शाम के समय पतिदेव को बोल ही दिया।
“ऐ-जी सुनो ना”
इन्होंने पलटकर बड़े प्यार से देखा कि कुछ तो गड़बड़ है आज पत्नी महारानी अपेक्षा से ज्यादा शहद जीभ से टपका रही है। (वैसे हम मीठा ही बोलते है...... ये छोड़कर कहानी पर वापस आते है।) तो पतिदेव ने शकभरी नज़रो से देखते हुए बोला
“बोलो जानू” (उनको लगा हम फैमिली प्लानिंग के बारे में बात करने वाले है उनसे.... पर हमारा इरादा तो कुछ और ही था!!!!!)
हम आंखे निकालते हुए बोले!
“ज्यादा रोमेंटिक होने की जरूरत नही है”
पतिदेव मुँह फुला कर, मुँह दूसरी तरफ करके बैठ गए। फिर हम प्यार से बोले......
“अच्छा ठीक है, सॉरी बोलते है ऐसे नही बोलेंगे पर सुनो ना”
“बोलो”
पतिदेव हमारी तरफ देखते हुए बोले। फिर हम लम्बी साँस खींचते हुए बोले
“हमे ना टिक्की खाने का कई दिन से मन हो रहा है। आप ला देंगे ना”
पतिदेव बोले
“बस इतनी सी बात!!!!!!! मैं पता नही क्या सोच रहा था”
हमने पूछा
“क्या सोच रहे थे?”
वो बोले
“चल छोड़ सो जा, कल ऑफिस जाना है मुझे देर हो रही है”
हम लाइट ऑफ करके, खुश होते हुए टिक्की के सपने देखने के लिये सोने चले गए।
अगले दिन पतिदेव को कान में टिक्की लाने का याद दिलाकर हम इतराते हुए उनको ऑफिस भेज, वापस घर के काम मे लग गए।
शाम का हमें बेसब्री से इंतज़ार था। बार - बार दरवाजे पर देख रहे थे। सास बार - बार पूछती
“क्या हुआ बहु.....? बार - बार बाहर काहें देख रही है? कोई आने वाला है क्या?”
हम सिर झुकाकर वापस काम मे लग जाते।
पतिदेव आये और आकर चाट हमें थमा दी चुपके से। अब एक नई परेशानी!!!! वो ये की इसे घर मे खाये कैसे? चूँकि घर मे सब सदस्य चेस की गोटियों की तरह बिखरे पड़े थे!!!! हमने चुपके से टिक्की छुपाकर आटे के कनस्तर के पीछे रख दी। बाद में खाएंगे, आराम से, यही सोचकर रात को खाने के बाद हम और घर के बाकी सदस्य सोने को चले गए।
आधी रात को अचानक ‘भुडूम’....... की जोर से आवाज हुई सब के कमरे की लाइट जली सब रसोई की तरफ भागे तो देखते क्या है!!! सब जगह आटा ही आटा फैला पडा था..... कनस्तर का ढक्कन गोल- गोल जमीन पर पडा घूम रहा था। कनस्तर दरवाजे के पास पड़ा था। और हम आटे में लिपटे हुए खड़े थे। पतिदेव जो पीछे खड़े थे। मुँह पर हाथ रखकर हँसी दबाकर हम पर हँसे जा रहे थे। और सास बोले जा रही थी
“सत्यानाश!!!! पूरे महीने भर का आटा गिरा दिया। कर क्या रही थी बहु यहाँ तू? बोल मुँह में क्या दही जमा ली बोल - बता”????
ननद हमारे पास आकर हमारे ऊपर से आटा झाड़ते हुए बोली
“भाभी ये आटा आपके ऊपर कैसे गिरा”????
हम धीरे से ऊपर की तरफ इशारा करते हुए, वो टिक्की वाला पैकेट दिखाया जिसमे से दही चटनी नीचे टपक - टपक कर गिर रही थी। ये देखकर सब हँस पड़े और हम खिसयानी बिल्ली की तरह पति की तरफ देख रहे थे। फिर क्या होना था, आटा भी साफ करना पड़ा और टिक्की भी नही मिली। पर हाँ अब जब भी टिक्की का जिक्र होता है तो हमारी अच्छी वाली खिंचाई हो जाती है और हम भी हँसते हँसते लोट-पोट हो जाते है। पर टिक्की खाना नही छोड़ा।-नेहा शर्मा