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कवितानज़्म
तिरे उदास रहने की वज़ह क्या है गर ये ज़िन्दगी है तो क़ज़ा क्या है लबों पर नहीं तबस्सुम की लकीर बशर तुझे और बड़ी सजा क्या है © "बशर"