Or
Create Account l Forgot Password?
कवितानज़्म
बंदा आख़िर किस अभिमान में है सर दुनिया में और पैर श्मशान में है, घर बना कर बे-घर हुआ मालिक और किरायेदार उस के मकान में है! © डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بشر